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Showing posts from 2015
किसी पार्टी से जुडने से पहले वन्दा एक कुंवारे की तरह होता है लेकिन पार्टी से जुडने के वाद उसकी स्थिति उस शादीशुदा वन्दे जैसी हो जाती है जो अगर गल्ती से कह दे कि टिंडे की सव्जी मे नमक ज्यादा है तो कई दिन तक तो खाने के लिये ही नही पुछा जायेगा  😝 😜 और डेली टिंडे अलग से वनाये जायेंगे  ‪#‎ अंकुश_ठाकुर‬   ankushthakur045.blogspot.com
व्राजील ता रारा रा हो, पर अपने पहाड की औरतें कती डांसर वाली फिलींग ले लेती हैं और उधर आधा पैग पीकर वैठा दादु भी हैरानी से देखता है कि कहीं वहू को माता तो नही आ गयी ॥ हाहा ‪#‎ DJ_Night‬   ‪#‎ Himachali‬ ‪#‎ अंकुशठाकुर‬
‪#‎ हिमाचली_व्याह‬   ‪#‎ आशिकी_शाम‬   अव ये अफवाह कौन फैला रहा है कि हिमाचली व्याह शादियों मे वुलवा कर , सुवह धाम वनाने के लिये प्याज टमाटर कटवाना भी अशहिषणुता का मुद्दा है ,जिसमे नौजवान हमेशा डरे रहते हैं और डर का महौल तव और वड जाता है जव पव्लिक ईनक्रिज होने लगती है ये देखकर सहमता दिल ढंग से कजरे वाली आँखो की खुवसुरती भी निहार नही पाता कि डर सताने लग जाता है कि कहीं वोटी कम पड जाये तो मिठा देने की भी ड्युटी ना लगा दे मुछडीया ताउ,, फिर वोलते फिरेंगे , मिठा ॥।मिठा ॥ मिठा ,, ओ मुन्न िये हाथ हटा नैता जली जाणा ,,, मिठा ही आ , अनिया कौडा चखी ता लेया हाहारा , ‪#‎ अंकुशठाकुर‬  #आशिकी_शाम
‪#‎ ankushThakur‬ पुतले जलाकर विरोध प्रदर्शन करने वालो की मानसिक हालत उस सिरफिरे आशिक के जैसी है जिसे अपनी मनपसंद साथी ना मिलने पर वह वस की सीटो और पव्लिक प्लेस पर कटा दिल वनाकर अनाव सनाव लिखता हैं और अपनी भडास निकालता रहता हैं जैसे आंकु लव्स मालविका sanju loves soniya , monu loves bindia और वगैहर वगैहर ‪#‎ अंकुशठाकुर‬ पुतले जलाना वन्द कर देना चाहिये और सिटो पर यह दिल वनाकर लिखी कलाकारी भी वन्द होनी चाहिये खैर राजनिति मे पुतले जलाना वन्द नही हो सकते और सिरफिरे आशिको की शायरी  😝 😜 😜
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Ankush Thakur December 20  ·  Edited   ·  हर हर महादेव " वाजीराव मस्तानी " एक एतिहासिक किरदार , एक एतिहासिक कहानी, एक प्रेम कहानी एक परमवीर योद्धा की कहानी , जिसे कि संजय लीला भंसाली ने वडी ही सुन्दरता से सिनेमा तक पहुंचाया है , शायद पहले वाजीराव मस्तानी की कहानी या तो मराठा समाज तक सीमित थी या तो वडे वडे ईतीहासकारो के ज्ञान मे थी लेकिन सिनेमा तक पहुचने से एक वीर की कहानी एक वेईन्तहा महोव्वत करने वालो की कहानी जो कि धर्म जात समाज के व न्धन से परे कि है सवके सामने मानो जीवित सी हो जाती है , वाजीराव ने मस्तानी से महोव्वत की है अय्यासी नही कुछ ईस तरह के वेहद प्रभावशाली डायलौग फिल्म मे अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते रहते हैं । फिल्म हर हर महादेव के जयकारो और भगवा ध्वज से शुरु होती है और हर हर महादेव के जयकारो में गुंजती रहती है , मराठा युग के शौर्य और मुगलो को लोहे के चने चवाने पर मजवुर कर देने वाले महान योद्धा वाजीराव अपने परिवार से हार जाता है , आपको वता दे ईतिहास के अनुसार 40 से ज्यादा लडाईयां वाजीराव ने लडी थी जिसमे एक भी नही हारी आज भी (कोक...
विजेपी मे कुछ सांसदो की हालत ठीक हमारे क्रिकेट मैच मे खेलने वाले उन लडकों जैसी है जो मुझे भी वैटिंग दो मुझे भी वैटींग दो करके चिल्लाते रहते है और जव वैटिंग मिलती तो सिवाये खेलने के डिफैंस मे ही पुरे ओवर खत्म कर देते हैं पर उनके कुछ फौलोअर यह कहकर दिल को तसल्ली देते रहते हैं कि " एटलिस्ट ही ईज डुईंग स्मथिंग " ओ हो ‪#‎ अंकुशठाकुर‬
मुकाबला लडने के वजाय किसी के पजामे का नाडा खोल दो , वस फिर तुम्हारी विजय पक्की और वाईचांस प्रतिदंवदि वेशर्म होकर लडने लग भी पडे तो धरना दे दो अजि ये तो चिटींग है जी ,सव मिले हुये हैं जी ,देखो नंगा मुकावला लड रहा है शेम शेम ......हाहा कृपया राजनितीक तौर पर ईस पोस्ट को ले सकते हैं और दुसरा आदरणीय राष्ट्रीय मीडिया जी भारत के नक्शे मे थोडी शर्म करके झांक भी लिया करो , ईत्ती सी दिल्ली है और आप 27*7 दिल्ली से वाहर निकल ही नही पाते , डियर न्युजसटिक प्लीज थोडा दाये वायें भी सर् घुमा  लिया करो , वडे वडे राजास्थान , महाराष्ट्र ,उत्तर प्रदेश और छोटे सिक्किम अरूणाचल ,हिमाचल जैसे भी राज्य है जिनकी कई खवरो को अनदेखा कर देते हो , आपको शायद पता होगा भी या नही पर ईन राज्यो मे भी मुख्यमंत्री हैं , असम अरुणाचल के मुख्यमंत्री का आपको शायद पता भी नही होगा तो जरा तार की लम्वाई वढाओ और खिंच कर माईक ले जाओ और ईवन आड मे ही लोगो का व्रेन वास करना है तो आपकी मर्जी  ‪#‎ अंकुशठाकुर‬
#आशिकी_शाम #अंकुशठाकुर ANKUSH THAKUR · SUNDAY, OCTOBER 18, 2015 सर्दी के उस मौसम मे पढाई की मार और वचपन का प्यार , हाथो मे एक पोथी पकड कर सुवह शाम गुरु जी के लैक्चर का जवरदस्ती रिपीट टैलीकास्ट टियुसन वाले भाई के पास हो रहा था , उसके हुस्न के चर्चे तो पहले ही सुन लिये थे पर उसके दिदार को आंखे वेचैन थी , गार्डन मे लगे पिंक रोज को तोडना तो नही चाहता था पर यु ही ना जाने कयों तोड देता है, ये कया सामने से लगा एकदम मौसम ने करवट ले ली है सर्दी का मौसम वदल रहा था मुह से कुछ नही निकल रहा था , वो पिंक रोज भी ना जाने कयों मुझे ललकार रहा था , मै डर सा गया एकदम रफ कापी के उस पन्ने पर जहां वैन्जीन के चेन रिएक्शन वनाये थे उसमे एडजस्ट कर देता हुं , आंधी की तरह वो सामने आ रही थी कुछ देर के लिये लगा वस् अव उडने वाले है और ईससे ज्यादा और कया चाहिये उसके साथ उडने का मौका मिल रहा हो , खैर नजदीक पहुंच कर जव उसकी आंखों मे देखा तो सिवाय कजरा महोवत वाला अंखियो मे एसा डाला ,कजरे ने ले ली मेरी जान के सिवाय कुछ फिल नही हो रहा था ईमोस्नस वट्स एप वाले सटीकर की तरह जीभ निकाल...
दौर ए पत्रकारिता  आफ्टर 2014 जव एक आटो वाले को एक राहगीर ने कुछ कारणो से थप्पड जड दिया , दिन भर से खवर ढुंड रहे हिपोक्रेट पत्रकार साहव ने जव मंजर देखा तो फटाफट पहले जाकर यही पुछा , भाई जान कौन सा रिलीजन एन्ड ईफ हिन्दु दैन कौन सी कास्ट ,, लो भाई मिर्च एन्ड मसाला लगाकर काकड़ी तैयार  सिनीयर पत्रकार महोदय :- आज हम प्राईम टाईम मे दिखाने वाले है कि कैसे एक कट्टर हिन्दुवादी व्यक्ति ने एक अल्पसंख्यक आटो वाले को वुरी तरह पीटा , कया अल्पसंख्यक भारत मे सुरक्षित नही ??  जी हा आज वडी वहस मे हमारे साथ है पूर्व मंत्री *** ( जिसे खुद पार्टी वाले वोझ समझते ) और दुसरे मेहमान है फलां मौलाना जी हमारे साथ है IMIM के मंत्री *** साथ ही हमारे साथ थोडी देर मे जुडेंगे हमारे खास एक्टिवीस्ट ( जिसे चैनल ने चंद रुपये के लिए रखा है कि हर वार किसी भी डिवेट मे वस वोलना है तुझे ) फलां मतलव माहौल पुरा हिंदु को आंतकवादी सावित करने का वनाना अरे सनी लियोन की एड लगाकर मीडिया हाउस चलाने वाले मुर्खो लौंग लैन्थे ही भुलते जा रहे अपनी पत्रकारिता की , कुछ भी , वोले तो कुछ भी ?? काश धर्म और जात से जोडने से पहल...
#आशिकी_शाम # अ ंकुशठाकुर दोनो ने ताउम्र साथ रहने का फैसला कर लिया था , वात अभी घरवालो तक नही पहुंची थी , वता देंगे अभि थोडी ना सादी कर रहे लडके ने प्यार से लडकी को कहा , रोज उसकी फरमाईशों को पुरा करने मे वक्त जाया कर देता कभी गुलाव के पौधे से कांटों भरे गुच्छे मे हाथ डालकर ताजा खिले फुल को तोड़ता और उसे सौंप देता तो कभी उसके पसंदीदा गीतो की कैसेट भरा कर गिफ्ट देता , सिलसिला एक फुल से शुरु हुआ और फिर हर रोज ईसी तरह चलता गया ॥ ईन आशिको की लव स्टोरी मे यह गुलाव वडा महत्वपूर्ण रोल अदा करता है और यह वात लडका समझ चुका था , लेकिन कव साधारण सा वालक आशिक वन गया कव ईन कांटों वाली राह मे चल पडा उसे भी शायद मालुम नही चला , दिन वितते गये प्यार और तकरार भी होता रहा ठीक वैसा ही जैसा रोज उस तोडे गुलाव के साथ शुरु होता था ॥ आज लडकी थोडी परेशान थी और होती भी कयों नही घर मे रिश्ता लेकर जो मौसी आयी थी , थोडे गुस्से से लडके को लताडते हुये वोली अव गुलाव तभी देना जव मेरे घर वारात आ जाये और गुलाव देकर स्वागत करना वोलते वोलते यह गुस्सा ज्वालामुखी सा पिघल चुका था और आंसुओं मे वहने लग गया...
ankushthakur045.blogspot.com टाईप करने के लिये कोशीश तो कर रहा हु लेकिन वहुत कम शव्द आ रहे है , अवाक सा हु कुछ लिखने पढने का मन नही , सुवहा से ही वेकार शुरुआत हुयी जो शाम तक चली और फिर एसा लगा कि एक चिराग जिससे कई होते थे रोशन वो रोशनी देता देता अचानक वुझ सा गया मुझ जैसे कई ये आस मे अव भी वैठे है कि कोई हवा का एक एसा झोंका आ जाये जो ईस दीवक को फिर से जला दे ,चाहे कम रोशनी हो पर वस जल उठे आज एक महान ईसान हमारे विच से चला गया , यु ही मुस्कराता हुआ , हमारी आखों को नम करते हुए , और मुस्कान जरा भी फिकी नही पड ी , वीमार होने के वावजूद भी हमेशा वच्चों का मार्गदर्शन करना उन्हे सिखाते रहना पढाते रहना वाकई यह कोई आम मानव नही था एक वहुत वडा वैज्ञानिक एक राष्ट्र का राष्ट्रपति पर कभी राष्ट्रपति दिखा ही नही वस एक साधारण सा मनुष्य जो हंसता हंसता वहुत कुछ दे गया ईस विश्व को , सपने वो नही होते जो आप नींद मे देखते हो सपने वो होते जो आपको नींद नही आने देते वाकई कलाम साहव आपके शव्द वहुत भावात्मक कर रहे हैं , वो आपकी हल्की सी मुस्कराहट , जरा फिर से हंस दो ना प्लीज वस थोडा सा ,,, भारत रत्न श्री कलाम ज...
गरमागरम रिव्यु लिख रहा हुं , लपक लो और वजरंगी जी की कसम विल्कुल झुठ नही वोलुंगा , हां तो ईस वार पेट पुजा करके दो तीन चपातीयां ठुंस कर सिनेमा गये थे ओ कया है ना कि लास्ट टाईम थोडी टंकी आधी थी और तलवारों की साउंड से और आधी हो गयी थी पर हमने ईस वार वकायदा तैयरियों से विना झपके लपके हर सिन को अपने अवतल और उत्तल मने कनवैक्स और कनकेव लैंस मे कैद किया है जिसे हम अभी फारवड और रिवर्स करके एक्सपलेन कर रहे हैं :- सलमान साहव ने वेहद खुवशुरत अभिनय क िया है फिल्म भारत से वार्डर पार फिर वार्डर से भारत एक वेहद रोमांचक तरीके से घुमति है और किस तरह से एक वच्ची को उसके वतन वापिस सलमान खान भेजते है और तमाम परेशानियां आने पर भी जय श्रीराम कहकर कैसे सौल्व करते जाते हैं ये सव आपको देखने को मिलेगा , और वार्डर पार जो पत्रकार महोदय सिद्दीकी जी ने अभिनय किया है , थोडा कैमरा घुमाना , हां तो जनाव ने जो एक्टिंग की है वो वाकई कावीले तारीफ है , कुछ चेहरे एसे होते हैं जिनसे अभिनय ना भी करवाया जाये तव भी दर्शक उन्हे वहुत पसंद करते हैं और वो अपनी अळग ही छाप छोड जाते हैं ,और मुवि मे वो वच्ची मुन्नी उन्...
अव गांव जाने का दिल नही करता चला जाउं तो आने का दिल नी करता  सभी साथी खो गये हैं ,कुछ वडे आदमी हो गये हैं  पैसे कमाने की होड है वस कुछ एसी ही सवकी दौड है ... वन्नी चण्डीगढ़ मे सैटल है , आंकु की तो जौव का मैटर है ,  अव गांव जाने का दिल नही करता जाउं तो लौट आने का दिल नी करता पुराने वुजर्ग दिखाई नही देते वो ठहाके सुनायी नही देते , दासतां तो सुना दु दोस्तों पर यह गम भरे नगमे गाये नही जाते ,,,आ जाते है यु ही आंखों मे आंसू पर वजह है तो छिपाये भी नही जाते कुएं है वावडियां है पर वो पुराने दृश्य अव दिखाई नही देते ,,, अव गाव जाने का दिल नही करता ..To be continued..... ‪#‎ अंकुशठाकुर‬
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वाहुवलि आधुनिक वैज्ञानिक (एनिमेशन ) का कमाल॥ रात को एक वीस पर रिवियु लिख रहा हुं भुख के मारे पेट गुटर गुटर कर रहा था तो साथ पडी नमकीन के पैकेट से फांके मार के गटक लिये तव जाके सटोमेक साउन्ड वन्द हुयी और फांके कन्टीनयु रख कर ही फिल्म का रिव्यू लिख रहा हुं जैसे कि फिल्म का नाम है वाहुवलि तो वलि वाली फिलींग आना ये तो जायज ही है और ये फिलम के हर दृश्य मे आपको आती भी रहेगी शुरु शुरु मे फिल्म थोडी सी विखरती है लेकिन ये मोतीयों की माला जव एक एक मनका जोड कर जुडना शुरु करती है तो सिर ्फ वाहुवलि ही वाहुवलि होती है , मनोरंजन के साथ फिल्म महाभारत वालि फिलींग भी जगाती रहती है जिसमे एसा लगता श्रीकृष्ण स्वंय उपदेश भी दे रहे है और युद्ध भी कर रहे , महेश्वरी मा ने जो किरदार किया है वो वेहद उम्दा है ईसीलिये साउथ की फिल्मो मे चाहे वो रिलीजीयस हो विलेन या वहादुर और ममतामयी किरदार ,ईन मौतरमा को ही सवसे पहली पसंद चुना जाता है , रही वात फिल्म की स्टोरी की तो स्टोरी मजवुत है भारतीय ईतीहास की पहली सवसे महंगी फिल्म है जो आधुनिक वैज्ञानिक प्रणाली से सिनेमा तक पहुंचायी है , एनीमेशन का वेहद खुवशुरती से ईस्ते...
एक कुत्ता मेरे सामने से आ रहा था वडवडाता हुआ कराहता हुआ , मेरी तरफ देख रहा था निर्वल मन से टुरते हुये दिल ही दिल मे ना जाने कितनी गालियाँ दे गया , आंखो के कान्टेक्ट से उसके साथ गुजरी व्यथा को एक्सपलेन कर रहा था मानो वोल रहा हो अंकुश, देख तेरी विरादरी के लोगों ने मेरा ये कया हाल किया , आखिर कया कसुर था मेरा यही कि मुझे किसी रईस मालिक ने नही पाला , खुन्डी से नहीं वान्धा कया यही ? , तुमसे मैने कुछ मांगा कया ? जो तुमने मेरा यह हाल किया , आराम से विना तुम्हे तंग किये सडक के किना रे ही तो सो रहा था , वस यह भुल गया था कि तुम्हारी विरादरी भी साथ ही वसती है लेकिन सच वताउ अव मै कुछ नही कर सकता पैरो से जो तुमने लाचार वना दिया , तुम्हारे द्वारा वोलने वाली ये लिटील मिस्टेक शायद मुझे कितनी वडी सजा दे गयी , तुम नही समझ सकते , नही समझ सकते दोस्त कभी नही , , , , , , हम्म्म चुप कयों हो , कुछ वोलोगे नी , कयों ईसलिये कि मै एक आवारा कुत्ता था अगर तोड दी टांग तो कया हुआ गली का कुत्ता ही तो था , अरे कुत्ता हु तो कया जान नही मुझमे जानते हो कितनी दर्द हो रही , कराह रहा हु मै , तुम्हारी तरह...
विश्व पर्यावरण  दिवस 5 जुन या यु कहें world environment day ये दिन वास्तव मे सवसे ज्यादा वच्चों के द्वारा ज्यादा  मनाया जाता है खुव स्लोगन लिखे जाते हैं भाषण प्रतियोगिता होती है लोगों को जागरुक किया जाता है कि सुनो पर्यावरण की पुकार , ना चलाओ ईनके उपर अपने झुठे विकास की धार , लेकिन हम मानव जाती एसी है  की सोचती नहीं , प्रयावरण एक उपहार है जो प्रकृति  ने हमे दिया है लेकिन हम कितना सजों पाये हैं  ईसे ? ये जव प्रशन उठता है तो सवालों का सैलाव उठ जाता है .सामने वडी वडी विल्डींग टैं टैं करती तेज कारें उन्चे उन्चे कारखाने और उनसे निकलता धुआं वा प्रदुषित जल, जो मिला दिया जाता है नदीयों मे नालों मे सवसे पहले ये समझना होगा प्रदुषण है कया.? साफ शव्दों मे किसी भी प्रकृति की क्रिया को दुषित करना या नुकसान पहुचाना फिर वो जल प्रदुषण हो जो कारखानों से और मानविय गतिविधियों से हो रहा हो या ु प्रदुषण जो हम जैसे लाडलों की टी टी करके वाहनों को भगाने से हो या भुमि प्रदुषण मे मानव ने कुछ समय ये हद ही कर रखी है पालीथीन जी हां प्लास्टिक को अपनी रोजमर्रा  मे एसा शामिल कीया है कि...
वालिवुड की क्वीन ankushThakur कुछ दिनो से जव से तन्नु वैडस मन्नु रिलीज़ हुयी सोशल मीडिया मे हर जगह तन्नु उर्फ कंगना ही कंगना छायी है कुछ हास्य वयंग तरिकों से रिशते मे तो हम तुम्हारे वाप लगते हैं नाम है कंगना कहके तो कुछ अपने अपने तरिकों से कंगना की एक्टिंग को एपरिसीएट कर रहे हैं ,  करनी भी चाहिये , पहली वार रात को 12वजे भी थियेटर फुल देखा और एक पहाडी लङकी ने जो हरियाणवी वोली है रुको रुको मै अपने आप को रोक नही पा रहा हुं , हां तो मै कहना चाहता हुं की जो फाडु हरियाणवी ईस पहाडी मठी ने वोली  है वो सवके जहन और दिमाग मे घुम रही है , फिल्म मे जो सिर्फ खान परिवार या खान नाम से अपने आपको अपनी नईया पार लगाने की जद्दोजहद मे रहते उनको भी कंगना प्यार से तमाचा मार कर चली गयी, और वहुत आगे , वहुत करिटीसीजम झेल कर भी यह लडकी अपने काम मे लगी रही और वालिवुड की क्वीन का खिताव कईयों को पिछाडते अपने नाम किया , कहते है जव कोई अपनी कमजोरी को अपनी ताकत वना लेता है तो वही कमजोरी उसकी सफलता का कारण वनती है ,साक्ष्य सामने है सोनाक्षी की हर जगह मोटापे के कारण वुरायी की लेकिन वन्दी ने कीसी की...
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                          "YAADE" A " HIMACHAL" तो जी वात है उन दिनो की जव हम छोटे से क्युट से वच्चे हुआ करते थे, स्कुलिंग मे थे तो वरसात की दो महीने की छुट्टियां ही हमारे लिये सर्वोच्च त्योहार हुआ करती थीं  तो वस जिस दिन छुट्टियां पडी अगले ही दिन सव होमवर्क चेप दिया शुरुआत साईंस से की और मैथ्स पर जाके स्वाहा कर दी हाहा हा वाद मे मुर्गा वना कर पिटा था मुझे मास्टर जी ने , वडा दर्द हुआ पर सारा दर्द हंसी मे तवदील हो गया जव साथ वालों की उससे भी खतरनाक अवाजें सुनी हा हा उस हंसी की चक्कर मे दो डन्डे फालतु खा लिये थे पर फिर भी वे शरम की तरह हंसी रुकी नहीं , खैर थोडा फार्वड मोड मे चला गया , हा तो छुट्टियां खत्म हुई और मासी के यहां हमारा कारवां वड लिया जाहु के साथ मे जगह वहां पहुंचे शुरुआत मे थोडे शांत से वैठे वाद मे ले दगडम ले वगडम हल्लम हल्ला , तो मासी हमारी सावन के भोले वाला के व्रत किया करती थी साथ मे नजदिक कुआं था तकरीपन 52 पौडी का वडा आगे से नैरो पिछे काफी चौडा था तो मासी वोली आंकु तैरना औन्दा , मै वडा गाजला कन्नै ज्य...
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मजदूर दिवस भारत में वैसे वहुत से दिवस का ट्रैन्ड हो गया है जिसमे प्रेम दिवस और प्रेम के साथ साथ प्रेम के वाद आने वाले सारे दिवस होते है सवको प्रसन्नता से मनाया जाता है आज मजदुर दिवस पर कोई अपनी मजदुरी मार कर ईसे मनाना पसन्द नहीं करेगा जाहिर है पेट का सवाल है और पेट से समझौता कर भी ले मगर घर वार वच्चों के जव वलैन्कड वहाईट तस्विरे ंसामने आती और कान मे गुंज सुनायी देती अजि सुनते हो चावल भी खतम हो गये ? है तो यकिन मानीये धक धक करने वाला ये नैचुरल यन्त्र जिसको डाक्टर लोग हार्ट कहते हैं वोल उठता है भाई उठा अपना झोला और शुरु कर रोजी । लेकिन दुसरी ओर टेडा सा मुंह करके सोच रहा हुं सही भी किया सभी डिपार्टमैन्ट के दिन रख दिये तो ये भला ईसे कयों छोड दिया जाये आखिर हम सव भी तो मजदुर और मजवुर ही तो हैं ।कयी ए सी मे वैठने वाले मजवुर तो कयी कडकती धुप मे मेहनत करने वाले मजदुर ।आज हम उस एन्ड्राइड दौर मे जी रहे हैं जिसमे सभि व्हाईट कालर वाली नौकरी करना तो पसंद करते है पर पसीना वहाना कतयी नहीं चाहते ं । यदपि हम भारतीय परम्परा मे विशवक्रमा डे मनाते हैं जिस दिन सभी अपने हथियार डाल द...
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सटे्टस लिखने से पहले कुछ समझ नी आ रहा था शुरु कैसे करु पर कैसे भी अंगुठों को थोडा विश्वास देकर शुरु कर दिया है एक कडवा सच सांझा कर रहा हुं शायद कुछ लोग ईससे सहमत होंगे तो कुछ नहीं भी पर किसी संगीतकार ने सही कहा कि सच छुपता नहीं छुपाने से कुछ एसी वात है  हिमाचल एक ओर जहां देव भुमि सा पवित्र है वहीं आजकल नशे का अड्डा भी वना हुआ है पुरे उत्तर भारत मे जहां पंजाव ,शराव ,भुकी के लिये जाना जा रहा वहिं हिमाचल जवाईट चरस वा गांजा जैसे सुखे खतरनाक नशो के लिये जाना जा रहा  शायद अव  kuch  वुद्धिजीवी मेरी ईस वात को काटने से नहीं चुकेंगे कि हिमाचली अभी नहीं पहले बी ईस प्रकार के नशे के लिये मशहुर थे तो वावा पहले का तो मुझे पता नही पर जव से होश सम्भाला है अभि ज्यादा दिख रहे हर 5वां नौजवान ईन नशो का आदी हो रहा है आज एक उत्तराखण्ड का ळडका जो वीएमसी पास है उनकी माता राजनीति मे भी सक्रिय तो पिता वलौक आफिसर और जनाव ने अपनी सच्चाई खोली तो मै भी हैरान रह गया कि वराउन सुगर चरस गांजा से लेकर हर नशा उस शख्स ने कर रखा और अव परेशान है छोडना भी चाहता वडे दिनो से देख रहा था सायको सा लगता था...
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हुआ युं कि आज हम थोडे वहके हुये हैं वहुत से शव्द दिमाग में परिक्रमा कर रहे थे और हम भी कन्फुजिया गये थे कि किसे पकड कर आपके हवाले करें पर जैसे कि हमारा नेचर है हम राजनितीक मुद्दों को वहुत कम वार हाथ से फिसलने देते है मोस्टली हम उनमे सैटींग विठा के आपके सामने धर ही देते हैं आज अरसे के वाद मन भी किया लिखने का नहीं तो थोडा वहुत लिख देते थे चलते चलते लोकल की टकाटक लाईफ में तो कभी चारदिवारी में पर आप सव ही प्रेरित करते हो लिखने को कभि कुछ दोस्त मक्खन मार मार कर पुरा पिलपिला पंज ावी परांठा वना देते पर हम भी कुनाह खड्डों को वरसात में पार करने वाले पहाड़ी हैं एसे खुश नहीं होते हां हल्की सी ईस्माईल मार कर कल्टी जरुर मार लेते कहीं एसे भी मनुभाव हैं जो मेरे स्टेट्स का एसा निम्वु सिकन्जी वनाते की स्टेट्स भी रो क वोलता वस करो यार लिख कोई और रहा और पोस्टमारटम हमारा कर रहे ।खैर शव्दों की ईस जद्दोजहदत मे हम ये भुल गये कि लिखना कया था । सिरयसली हम आपका व्रेन वास करने नहीं आये हम वस आपको ये एहसास दिलाने आये थे कि हम अभि जिन्दा हैं फेसवुक पर और हमे भुलियेगा मत । और कोशिश ...
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जंगल तवाह करके वस्तियां वसाओ फिर फिल ईन दी नेचर का टैग लगा दो कैसा लगेगा अगर फिल ईन दी हौट वोल कर आग में डाल दु तों ‪#‎ फिल_दी_फिलीन्ग‬ ‪#‎ अंकुशठाकुर‬
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जव वातें रेल वजट कि और हिमाचल कनैक्सन की हो रही हैं तो मैने भी सोचा पिछले वजट के टाईम का अनुभव शेयर कर ही देता हुं, जव हिमाचल के लोगों से पुछा कि 'रेल वजट' और 'हिमाचल में रेल' कया ख्याल है तो अन्सर कुछ कैक्टस के पतों की तरह थे तो कुछ कपास और नीम के पतों की तरह:- 1. जनाव जित्थी जे रेल आयी जांदी समझा गन्दगी शुरु ,खरा जे नी मिलो रेल रुल गान्द पौंदा वडा भारी ... सारे प्रवासियां एत्थु दौडी आणां... 2. वस मालिक ड्रईवर :- कजो हांदे टीडा च लात मरवाणी ईन्हा ही सवारियां नी मिलदीयां उपरा ते ए रेला दे चोचले.. जाहिर है कुछ तो असर उनकी कमाई पर भी पडेगा.. हम जैसे कुछ युवा :- ओ अरा ईतने साल होयी गये ए वास गप्पा मारदें कुछ नी मिलदा.... 5.वडकेया पहले ता रेल वजट च असे कुछ ज्यादा नी सोचदे थे पता था असां वाल जो शिमले पालमपुरा आली रेल लाईन उसा दा ही वुरा हाल है ता होर कया मिलणा पर हुण दिखदे मोदी होरा कया दिंदे... 6. वावा जी रेल आणा चाहिंदी हुण जालु छुट्टी आंदा मै ता वडी परेशानी हुदी कदी वसां फुल जांदियां ता कदी कुछ जे रेल हो ना रामा कन्नै मेरे सायीं कई लोकां जो सुविधा होय...
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आंखे शर्मिन्दगी से झुक गयी जव वुढे आदमी ने जेव से निकाली चिल्लर गीनी और डाल कर युं मायुस हो गया कि आज फिर भुखा रहना पडेगा.... . ‪#‎ अंकुशठाकुर‬
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"जव हरे हरे नोट वरसे तो गांव के चुल्हे जलने के लिये तरसे " हरे लाल नोटों नें वन्द कर दिये थे गांव के चुल्हे.... आप विल्कुल सही पढ रहे हैं ये वात है भारत के एक ऐसी जगह कि जिसने आज पुरे भारत में अपनी अलग पहचान वनायी है और आटोमोवाईल से लेकर तमाम तरह के उद्दोगों को जगह दी, लेकिन किस तरह का रहा मंजर था जव यही जगह सुनसान होती थी विरान होती थी और गांव के एक कोने में खेती या विरान पडी थी, ईसी वात का उतर मुझे मिल गया जव ईसी जगह से सम्वन्ध रखने वाला गौरव यादव मुझे मिल गया ये सव मुझे तो सपना ही लगता था करोर अरव लेकिन जव करोर वाले लोग मिले तो उत्सुक भी था जानने का कि एक साधारण से परिवार से जव करोरपति वने तो कैसा वदलाव आ गया , ये वात है गुडगांव के साथ सटे माणेसर कि और आज गुडगांव की चकाचौंध किससे वेखवर है,, मैं हिमाचल से सम्वन्ध रखता हुं और यहां ज्यादातर लोग सामान्य वर्ग के होते हैं और माणेसर की वातें जव जहन में घुम रही थी तो प्रशन पे प्रशन भी उठ रहे थे मानो प्रशन का एक सलाव सा दिमाग में घुम रहा था और मैं एकदम से सव जवाव जानने के लिये वेचैन , पर धीरे धीरे जव वाते सा...
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खरीदने वाले तो बहुत आते है l हमारा मोल दुनिया में कोई क्या लगाये ll दिल की बात कलम से लिखते है l हमारे इरादों की कोई क्या बोली लगाये ll ॐ सुफी ॐ ©2015 ankushThakur
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खुशियों का मेरे से नाता नहीं ॥ गम मेरे पास से जाता नहीं अकसर तनहाईयों ने साथ निभाया है लोग कहते है अंकुश तु तो bda talanted है पर ये लिखने का talent तो वकत ने सिखाया है ॥ ईस वकत कि सिख को कया कहूं ना जि सकुं ना मर सकुं.............. ना हस सकुं ना रो सकुं ............ ना घावों को पोछ सकुं ना ईन वहते अशरुओं को रोक सकुं............. ये आंसु आंख से जाता नहीं कयोंकि अपना तो खुसियों से नाते नहिं............... ©2015 !by:-अंकुश ठाकुर....