#My_India_part_1
#ankush
यह तस्वीर शंघाई की है चीन मे एक नदी है जो शंघाई रिवर के नाम से जानी जाती है बीलीयन ट्रिलियन doller ka ट्रांसपोर्ट और ट्रेड इसके जरिये किया जाता है . ट्रांसपोर्टेशन का सबसे सस्ता जरिया होता है नदी समुद्र और शायद चाइना ईस बात को अच्छे से समझता है , हम बात बात पर चीन को गरियाते हैं हम वो है हमारे पास यह है फलां ठिमकणा दरअसल हम चीन के समाने भी नही खडे हो सकते , बहां जाकर देखना कितनी तरक्की की है चीन ने . शायद उसी की तर्ज पर हमारे केन्द्रीय मंत्रीयों ने गंगा मे सुमद्रिये यातायात बनाने का प्लान 2014 को बनाया था और जिसकी आधिकारिक घोषणा भी की थी . तकरीवन सोलह सौ करोड के ईस प्रोजेक्ट मे सोलह सौ किलोमीटर तक ड्रैजिंग और हल्के जहाज और फैरी ट्रांसपोर्टेसन का जरिया जैसे जहाजों के लिये काम किया जाना था .IIT रुड़की के कूल गायज इसके उपर रिसर्च कर रहे थे यानि सरकार के काम मे सहयोग कर रहे थे . क्लीन गंगा के मिशन के साथ यह दूसरा ज्वाईंट मिशन सरकार का था जो कि अगर शुरु भी होता तो वाकई अपने आप मे देश की दशा और दिशा बदलने वाला था . आप अनुमान भी नही लगा सकते सरकार कितना इससे कमा सकती है और कितने हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध हो पाता . मगर अफसोस हमारी सरकारें घोषणा तो एज डी स्क्रीन पर कर देती है जो बाद मे ब्लैंक एंड व्हाईट ही रह जाती है , और अपसोस कि ईसको कोई दुबारा पुछने वाला भी नही होता . आप अस्लीयत जान लिजीये 2014 मे अधिकारिक घोषणा होने के बावजूद आज 2018 चल रहा है अभि तक गंगा मे ना ड्रैजिंग शुरु हुई है ना किसी तरह का और प्रोजेक्ट गंगा रिवर पर जोकि हुगली कोलकाता से बनारस तक बनना था शुरु हुआ है . अब दोष किसका है . सरकारों के सुस्त रवये का या दिखावे की घोषणाओं का . जब सरकार ने सब बजट बगैरह बनाया था सर्वे करवा रही थी जो काम शुरु कयो नही हुआ . हम समझते है यह लम्बे बक्त के प्रोजेक्ट होते है जिनको समय लगता है पर काम शुरु तो होता आज चार साल बीत जाने के बाद भी कुछ शुरु नही हुआ . इससे तो यही लगता है सपनो के जहाज दिल्ली की यमुना मे ही डूव गये हैं .वाकि शब हउआ है . बोलो हर हर महादेव ..
#अंकुश

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