वो अलग बात है शहरी होने के वाद वही गंध आपकी रोजमर्रा की दोस्त वन जाती है , शहर में हम कमियां भी वहुत ढुंढते हैं और आशियाना भी , आशियाना मिलते ही कमीयां हम छान देते हैं अपनी सुविधा अनुसार तब कमियां कहीं ओर तलासते हैं ,
वापस उसी मैप पर निकलते निकलते जब घुमावदार मोड आते हैं तो यह ठंडी ठंडी हवा हमारा स्वागत करती है , हमें अपना वताते हुये मानो गले से लगा लेती है , पुचकारती है ,आशीर्वाद देती है , सामने खडे वो उचें उचें पहाड ना जाने कैसा महसूस करते होंगे पर मैं उन्हे हमेशा महसूस करता हूं खुदमें , क्योकि वो हमेशा मेरे साथ रहे है किसी अपने के जैसे .....
मैं वस उन्हे वताना चाहता हूं कि मै भी नहीं भुला हूं आपको , आपकी हरियाली को आपके द्वारा पहनी सफेद चांदी को आपके साये मे गुजरे मेरे वचपन को..ठंडी सर्दी को , आपमें छुपे बादलों को आप तक पहुंचने की जद्दोजहद करते उन परिंदो को और हां सिर्फ और सिर्फ़ आपको ..
पहाड वेशक छोड दिये पर पहाड हमेशा मेरे साथ वसते हैं आप सब में ..आप हिमाचलियों में..
शुक्रिया
#अंकुश #हिमाचल_प्रदेश#प्यार_है_मुझे_तुमसे_हां_तुमसे_ए_पहाड_सुन_लो___भुला_नहीं_हूं_मैं_तुमको
Ankushthakur045.blogspot.com
Nice
ReplyDeletekeep it up
DeleteSukriya sir
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