" पहाड वेशक छोड़ दिये , लेकिन पहाड हमेशा मुझमें वसते है ""
चंडीगढ़ के चौड़े हाईवे की पी पां से निकलते ही दुनिया मानो रिंग रोड की तरह घुमावदार और डरावनी सी लगने लगती है , कारखानों फैक्ट्रियों से निकलते प्रदूषण की तेज गंध जबरन आपके नाक पर एसे प्रवेश करती है जैसे कोई एन ओ सी लेकर आ धमकी हो , शहर का थोडा थोडा एहसास तो उसी गंध से हो जाता है वाकी दिल्ली पहुंचते पहुंचते यमुना जी और लोकल नाले आपको शहरी सा फील करवा ही देते हैं , यमुना के साथ जी लगाना मजबूरी वन जाती है पर इससे भी ज्यादा मजबूरी होता है यमुना और ईन नालों के पास से नाक मे सांस रोककर निकलना , सच में उसी दिन पहली दफा मुझै कमजोर फेफड़े वालों की वडी फिक्र हुयी , और ईस तरह से मेरा योग होने लग गया , हां वही लोम विलोम टायप , टीवी वाला वावा चाहे जितने सेकंड स्वास रोकने की सलाह दे पर मैं तो जब तक नाला पार ना हो मजाल है सांस लै लूं , सांस का अच्छा स्टैमिना पहाड चढ चढ कर हम पहाडियों को तो पहले से ही हो जाता है पर शहरों के नालों को पार करते वक्त थोडा बाद मे शहरों से ही सिखना पडता है .
वो अलग बात है शहरी होने के वाद वही गंध आपकी रोजमर्रा की दोस्त वन जाती है , शहर में हम कमियां भी वहुत ढुंढते हैं और आशियाना भी , आशियाना मिलते ही कमीयां हम छान देते हैं अपनी सुविधा अनुसार तब कमियां कहीं ओर तलासते हैं ,
वापस उसी मैप पर निकलते निकलते जब घुमावदार मोड आते हैं तो यह ठंडी ठंडी हवा हमारा स्वागत करती है , हमें अपना वताते हुये मानो गले से लगा लेती है , पुचकारती है ,आशीर्वाद देती है , सामने खडे वो उचें उचें पहाड ना जाने कैसा महसूस करते होंगे पर मैं उन्हे हमेशा महसूस करता हूं खुदमें , क्योकि वो हमेशा मेरे साथ रहे है किसी अपने के जैसे .....
मैं वस उन्हे वताना चाहता हूं कि मै भी नहीं भुला हूं आपको , आपकी हरियाली को आपके द्वारा पहनी सफेद चांदी को आपके साये मे गुजरे मेरे वचपन को..ठंडी सर्दी को , आपमें छुपे बादलों को आप तक पहुंचने की जद्दोजहद करते उन परिंदो को और हां सिर्फ और सिर्फ़ आपको ..
पहाड वेशक छोड दिये पर पहाड हमेशा मेरे साथ वसते हैं आप सब में ..आप हिमाचलियों में..
शुक्रिया
#अंकुश #हिमाचल_प्रदेश#प्यार_है_मुझे_तुमसे_हां_तुमसे_ए_पहाड_सुन_लो___भुला_नहीं_हूं_मैं_तुमको
Ankushthakur045.blogspot.com

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