#हकीकत #जिंदगी #असहाय #असहज 

रात के वक्त एसे ही रोड पर टहल रहा था , सडक के एक तरफ नालियां खोदी जा रही थी , शायद तार वार या कोई पाईप जैसे अमूमन एसे काम के लिये खुदाई करवाई जाती है वैसी ही यहां हो रही थी , उसी सडक के साथ कुछ मजदूर महिला और पुरुष सडक के किनारे ही सो रहे थे एसी जगह पर जहां हम मै और आप जैसा कोई वयक्ति वैठना भी पसंद ना करे , दूसरी तरफ ही एक छोटा सा वच्चा , दुनिया से नजरअंदाज ,वेफिक्र , सपनों के सागर मे तैर रहा था , सपने भी वेचारे के ज्यादा कुछ नही होगे वस यही कोई दो वक्त की रोटी मिल जाये , वो क्रिम वाले विस्कीट जो पान वाले की दुकान के पास टीवी मे देखे थे वो मिल जाये , स्वाद कैसा होगा उसे भी शायद मालूम नही पर हां एड मे आये उस खुशनुमा वच्चे को देखकर लगता होगा अच्छे ही होगे , जहां भारत का एक वर्ग वच्चों को रजाई , मखमल के गद्दों पर सुलाता है वहिं यह तपते कठोर पत्थरों पर एसे सो रहे थे मानो किसी मखमल के गद्दों पर सो रहे हो , सामान के नाम पर एक पानी की कैन दो तीन मीरींडा की खाली वोतल जो यहां वहां से उठायी होगी , और सिरहाने के लिये पैर की टूटी चप्पल ,
देख कर थोडा मन विचलित हो गया शायद ठेकेदार ने रात दिन का ठेका दिया होगा जिसमे कुछ मजदूर काम भी कर रहे थे , पर औरतो और वच्चे को सोया देख कर सोचा एक फोटो ले लूं , और यहां सोशल मीडिया मे पोस्ट करके वताउ की देखो मखमल पर सोने वालो एक यह भी है हमारा समाज जो एसे सडक चौराहों पर वसता है , ईनको यूं वाहर सोने पर मजवुर करने वाला कौन है ???
। पर मेरी हिम्मत नही हुयी की फोटो खिंच सकूं , एसी स्थिति मे थोडा असहज और असहाय सा महसूस करने लग जाता हूं , मुझे नही पता यह मुझमे डिफाल्ट है या कुछ और पर ना जाने मेरे जैसे कैसे एसी सोच के है , मुझे ईनके मुरझाये चेहरे देख कर नींद नही आती , मेरे अंदर उवाल भी होता है एक गुवार भी होता है जिसे मै अकसर यहा आकर निकालने का असफल प्रयास करता रहता हुं । पास ही दो लोग खडे थे वो कहने लगे देखो यह है जिंदगी ॥ एटलिस्ट हम तो फिर भी सही और अच्छे हैं ।
मेरे जहन मे सवालो का सैलाव दौड रहा था और मै थ्री ईडियट फील्म की तरह आल ईज वैल करके अपने आप को झूठी तसल्ली दे रहा था , खैर ईस समाज से किसी ना किसी रोज एसे सरोकार होता रहता है , पहले ईन्हे देख कर वहुत उदास होता था अव धीरे धीरे मजवुरना आदत सी वना रहा हूं ॥
और मजदूरो के वारे मे किसी ने सच ही तो कहा है " सो जाते हैं फूटपाथ पे अकसर अखवार विछा कर , मजदूर कभी नींद की गोली नहीं खाते ॥
#अंकुशठाकुर

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