अगर आप दिल्ली मे है और आपने अक्षरधाम नही देखा तो यकीनन आपने जिंदगी के महत्वपूर्ण क्षणों को व्यर्थ कर दिया है .बेहतरीन नक्काशी अत्याधुनिक तकनीकी और प्राचीन भारत का दर्शन जिस प्रकार से होता है मन आत्मविभोर हो उठता है . नाव मे बैठकर जैसे प्राचीन भारत से गुजरते हम आधुनिक भारत मे पहुंचते है उसे देख कर आप अपने भारतीय होने पर गर्व महसूस करेंगे , नालंदा विश्वविद्यालय से लेकर चाणक्य , महर्षि शुशुर्त महर्षि पातांजलि और तमाम आयुर्वेद से लेकर शल्य चिकित्सा के अधभुत आयाम आपको देखने को मिलते है .. वेदों के ग्यान भौगोलिक शोध , आर्यभट्ट और ना जाने कितने भारतीय वैदिक शोधकर्ता को जानने का महसूस करने का साक्षात अनुभव होता है . यूं कहा जा सकता है कि उस नाव मे बैठकर आपका सम्पूर्ण भारत भ्रमण पूर्ण हो जायेगा .
रोशनी और जल के फव्वारो का संगम आपको दुबई भुला देगा . वैदिक भारत भारतीय संस्कृती श्लोक और मंत्रों से आपको स्वर्ग सी अनूभुति होगी . कुछ क्षणों के लिये आपको लगेगा यही स्वर्ग है . एक बेहतरीन कला संस्कृति का नमूना अक्सरधाम अपने आप मे अनूठा अकाल्पनिक है जो हमे हमारे उस भारत का दर्शन करवाता है जिसे शायद अब तक हम कितावों के पन्नो मे ही पढते थे या किसी से सुनते थे .. मेरे विचार से अक्षर धाम मात्र केवल एक मंदिर नही वल्कि जिंदगी की वो शिल्प है जिसे आधार रख कर हम भविष्य की नींव रखते है . यह वही नीव को दर्शाता है जो सुंदर मकान के तले दबी होती है लेकिन जिसका योगदान अतुल्निय होता है .
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