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हिमाचली सिनेमा जिसे अभि कुछ समय पहले हिमऔलीवुड का नाम दिया गया था उसी के उपर आज थोडा विशलेषण करके लिख रहा हूं यह सारा विश्लेषण हिमाचल मे हिमऔलीवुड के लोगो की राय मेरा व्यक्तिगत अनुभव से किया है , जिसमे कुछ चिजें गर्व करने लायक है लेकिन कुछ एसी भी वाते है जिन्हे सुन कर हम शर्म जरुर महसूस कर सकते है और करनी चाहिये , हिमाचल की सिनेमा ईंडस्टरी मे यूं तो फूलमू रांझू फौजी दी फैमिली धोवन ओ मेरी कंगना जैसी सौर्ट फील्मे वनायी है जो की काफी हद तक कामयाव रही , लेकिन यह सव छोटे वजट की फिल्मे थी और उस दौर मे वनी थी जव तकनीकी ईतनी विकसित भी नही थी आज फिल्म रिलीज़ होती है और अगले ही दिन लोगों के फोन स्क्रीन पर दस्तक दे चुकी होती है ,वेशक पायरसी को रोकने की तमाम कोशिशे होती हो लेकिन आज के समय मे यह सव कोशिशे उस अधूरी सक्रिप्ट के जैसी है जिसपे आज तक ना तो कोई फिल्म वनी है और ना वन सकती है मतलव ये वस अखवार मे दी गयी स्टेटमेंट के जैसे है जिसपर कोई एक्सन नाम की साउंड सुनायी नही देती , वात हिमाचल मे सिनेमा की हो रही है तो यहां एक चिज देखनी होगी और वो है सिनेमा हाल , हिमाचल मे फिल्म वनाना ही अपने आप मे चुनौतीपूर्ण है ,ना कोई सरकारी मदद ना ईतना फिल्मी माहौल , वस हरी भरी सुंदरता सफेद वर्फ उंचे पहाड ,नदियां लोग आपका कैमरा और आप ,अव आपको उसमे से सव कुछ निचोड कर निकालना है , फिल्म वना तो दी पर अव आगे स्क्रीन तक पहुंचाने मे समस्या , ना तो ईतने सिनेमाहाल , हिमाचल मे वहुत कम सिनेमाहाल है ईसलिये कयी निर्देशक यहां पहाडी फिल्मे वनाने से कतराते हैं , दूसरा यहां मिलजुल कर ईस ईंडस्टरी को आगे वढाने का प्रयास नही करते वल्कि एक दूसरे की टांग खिंच कर पिछे धकेलते है ,यहां एपरिसीएसन नाम का शव्द ईस्तेमाल नही होता , हिमाचल मे कुछ लोग अपने आपको हिमऔलीवुड के किंग समझते है लेकिन उन्होने ना तो कुछ नया किया होता है और ना करते है वस ईधर का उधर और एक दूसरे की आलोचना करना वस ईसीको ईन्होने अपना पेशा वना लिया होता है , अगर यह सव लोग मिलजुल कर कामकरें को काफी कुछ नयी चिजें हिमाचली सिनेमा मे कर सकते हैं , आज कयी एसे स्टुडियो है जो अपने अच्छे काम के लिये जाने जाते है जैसे snow leopard production house , silent hill studio hamirpur , sms Nirsu ,और भी है जिनके वैनर तले अच्छी एड और विडीयो वन चुके है , अगर हिमाचली युवा तक पहाडी वोली की फिल्मे पहुंचानी है तो मजबूत स्क्रिप्ट ,अच्छे डायलौग , अच्छी डायरैक्सन और अभिनय का कम्वीनेशन वनाना पडेगा और खास वात कि तकनीकी का भी भरपूर ईस्तेमाल करना होगा , आज दो वडी फिल्मे हमारे सामने है जो जल्द सिनेमा तक पहुंचने वाली है एक सांझ जिसे अजय सकलानी और उनकी टीम ने वनाया है तथा दूसरी नठ पज्ज जिसे हिमाचल के प्रसिद्ध डायरैक्टर कूल राजेन्द्र कौशल जी ने वनाया है , नट्ठ पज्ज मे तकनीकी का खास ईस्तेमाल किया है ,कुछ गानो को ड्रोन से शूट किया है , वरहाल फिल्म विल्कुल तैयार है और जल्द सिनेमा तक पहुंच जायेगी , हिमाचल मे पहाडी फिल्मे वनना शुरु हो चुकी है लेकिन हिमाचल के लोग जो हिमाचली संस्कृति ,वोली से प्रेम करते है उनको कुछ रुपये खर्च करके यह फिल्मे जरुर देखनी चाहिये ताकि ईस दिशा मे काम कर रहे निर्देशक और दूसरे लोगो को प्रोत्साहन मिले , हिमाचल मे वहुत टैलेंट भरा है यह तो मै ,आप, हम सव कहते है ना ,लेकिन जो ईस टैलेंट को निकालने का प्रयास कर रहे हैं उनको हम कितनी सहायता करते हैं , हिमाचल सरकार को भी ईसमे थोडा सोचना चाहिये जिससे टूरिज्म को भी वढावा मिलता रहेगा और हिमाचल राज्य की आर्थिक सेहत भी ठीक वनी रहेगी ॥
#अंकुशठाकुर
ankushthakur045.blogspot.com ....

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