ट्रेन से उतरते ही आटो पकड के आईएसविटी की तरफ निकल पडा , दिल्ली की भुलभुलईया मे वो आटो को तेज रफ्तार से भगाये जा रहा था , वेशक उसे कुछ ही महीने हुये थे दिल्ली की ईन दिलकस सडकों पर फिर भी वो सिख गया था समझ गया था दिल्ली को अपने अंदाज ए दिल से दौडाने मे । गाडियो के शोर शरावे के विच मे उसने परिचय पूछना शुऱु कर दिया , भाई साहव कहां से हो , मै हिमाचल से , हिमाचल से , वहुत अच्छी जगह है , मैने सर हिलाते हुयै हां मे जवाव दिया , मै यूपी से , पहले मै भी हिमाचल मे काम करता था , सोलन वद्दी उना , सव जगह काम किया , मुझे वहां कम्पनी ने सुपरिवायजर वनाया था , अच्छी जगह है और लोग भी ,पर वचता कुछ नही था , आप सोच रहे होंगे ना फिर आटो कहां से , भाई मजवूरी सव करवा देती है हम वैंक की तयारी कर रहे थे , ग्रेजुएसन किये हैं , पढने मे भी अच्छे थे पर शायद किस्मत ईन्ही तीन पहियों पर थी , वहुत संघर्ष किये , जव कम्पनी मे काम करते थे तो वहां कमीशन उपर का पैसा भी मिलता था हम पूरी ईमानदारी से काम करते थे , पर कमीशन का लालच हमे भी लग गया , वावू जी को जव पता चला कि मेरे पास सैलरी से दुगुने पैसे ईकट्ठे हो गये है...
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Showing posts from April, 2018
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Ankush Rajput January 29 · " पहाड वेशक छोड़ दिये , लेकिन पहाड हमेशा मुझमें वसते है "" चंडीगढ़ के चौड़े हाईवे की पी पां से निकलते ही दुनिया मानो रिंग रोड की तरह घुमावदार और डरावनी सी लगने लगती है , कारखानों फैक्ट्रियों से निकलते प्रदूषण की तेज गंध जबरन आपके नाक पर एसे प्रवेश करती है जैसे कोई एन ओ सी लेकर आ धमकी हो , शहर का थोडा थोडा एहसास तो उसी गंध से हो जाता है वाकी दिल्ली पहुंचते पहुंचते यमुना जी और लोकल नाले आपको शहरी सा फील करवा ही देते हैं , यमुना के साथ जी लगाना मजबूरी वन जाती है पर इससे भी ज्यादा मजबूरी होता है यमुना और ईन नालों के पास से नाक मे सांस रोककर निकलना , सच में उसी दिन पहली दफा मुझै कमजोर फेफड़े वालों की वडी फिक्र हुयी , और ईस तरह से मेरा योग होने लग गया , हां वही लोम विलोम टायप , टीवी वाला वावा चाहे जितने सेकंड स्वास रोकने की सलाह दे पर मैं तो जब तक नाला पार ना हो मजाल है सांस लै लूं , सांस का अच्छा स्टैमिना पहाड चढ चढ कर हम पहाडियों को तो पहले से ही हो जाता है पर शहरों के नालों को पार करते वक्त थोडा बाद मे शहरों...
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अगर आप दिल्ली मे है और आपने अक्षरधाम नही देखा तो यकीनन आपने जिंदगी के महत्वपूर्ण क्षणों को व्यर्थ कर दिया है .बेहतरीन नक्काशी अत्याधुनिक तकनीकी और प्राचीन भारत का दर्शन जिस प्रकार से होता है मन आत्मविभोर हो उठता है . नाव मे बैठकर जैसे प्राचीन भारत से गुजरते हम आधुनिक भारत मे पहुंचते है उसे देख कर आप अपने भारतीय होने पर गर्व महसूस करेंगे , नालंदा विश्वविद्यालय से लेकर चाणक्य , महर्षि शुशुर्त महर्षि पातांजलि और तमाम आयुर्वेद से लेकर शल्य चिकित्सा के अधभुत आयाम आपको देखने को मिल ते है .. वेदों के ग्यान भौगोलिक शोध , आर्यभट्ट और ना जाने कितने भारतीय वैदिक शोधकर्ता को जानने का महसूस करने का साक्षात अनुभव होता है . यूं कहा जा सकता है कि उस नाव मे बैठकर आपका सम्पूर्ण भारत भ्रमण पूर्ण हो जायेगा . रोशनी और जल के फव्वारो का संगम आपको दुबई भुला देगा . वैदिक भारत भारतीय संस्कृती श्लोक और मंत्रों से आपको स्वर्ग सी अनूभुति होगी . कुछ क्षणों के लिये आपको लगेगा यही स्वर्ग है . एक बेहतरीन कला संस्कृति का नमूना अक्सरधाम अपने आप मे अनूठा अकाल्पनिक है जो हमे हमारे उस भारत का दर्शन करवाता है जिसे शायद अब ...
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# हकीकत # जिंदगी # असहाय # असहज रात के वक्त एसे ही रोड पर टहल रहा था , सडक के एक तरफ नालियां खोदी जा रही थी , शायद तार वार या कोई पाईप जैसे अमूमन एसे काम के लिये ख ुदाई करवाई जाती है वैसी ही यहां हो रही थी , उसी सडक के साथ कुछ मजदूर महिला और पुरुष सडक के किनारे ही सो रहे थे एसी जगह पर जहां हम मै और आप जैसा कोई वयक्ति वैठना भी पसंद ना करे , दूसरी तरफ ही एक छोटा सा वच्चा , दुनिया से नजरअंदाज ,वेफिक्र , सपनों के सागर मे तैर रहा था , सपने भी वेचारे के ज्यादा कुछ नही होगे वस यही कोई दो वक्त की रोटी मिल जाये , वो क्रिम वाले विस्कीट जो पान वाले की दुकान के पास टीवी मे देखे थे वो मिल जाये , स्वाद कैसा होगा उसे भी शायद मालूम नही पर हां एड मे आये उस खुशनुमा वच्चे को देखकर लगता होगा अच्छे ही होगे , जहां भारत का एक वर्ग वच्चों को रजाई , मखमल के गद्दों पर सुलाता है वहिं यह तपते कठोर पत्थरों पर एसे सो रहे थे मानो किसी मखमल के गद्दों पर सो रहे हो , सामान के नाम पर एक पानी की कैन दो तीन मीरींडा की खाली वोतल जो यहां वहां से उठायी होगी , और सिरहाने के लिये पैर की टूटी चप्प...
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#My_India_part_1 #ankush यह तस्वीर शंघाई की है चीन मे एक नदी है जो शंघाई रिवर के नाम से जानी जाती है बीलीयन ट्रिलियन doller ka ट्रांसपोर्ट और ट्रेड इसके जरिये किया जाता है . ट्रांसपोर्टेशन का सबसे सस्ता जरिया होता है नदी समुद्र और शायद चाइना ईस बात को अच्छे से समझता है , हम बात बात पर चीन को गरियाते हैं हम वो है हमारे पास यह है फलां ठिमकणा दरअसल हम चीन के समाने भी नही खडे हो सकते , बहां जाकर देखन ा कितनी तरक्की की है चीन ने . शायद उसी की तर्ज पर हमारे केन्द्रीय मंत्रीयों ने गंगा मे सुमद्रिये यातायात बनाने का प्लान 2014 को बनाया था और जिसकी आधिकारिक घोषणा भी की थी . तकरीवन सोलह सौ करोड के ईस प्रोजेक्ट मे सोलह सौ किलोमीटर तक ड्रैजिंग और हल्के जहाज और फैरी ट्रांसपोर्टेसन का जरिया जैसे जहाजों के लिये काम किया जाना था .IIT रुड़की के कूल गायज इसके उपर रिसर्च कर रहे थे यानि सरकार के काम मे सहयोग कर रहे थे . क्लीन गंगा के मिशन के साथ यह दूसरा ज्वाईंट मिशन सरकार का था जो कि अगर शुरु भी होता तो वाकई अपने आप मे देश की दशा और दिशा बदलने वाला था . आप अनुमान भी नही लगा सकते सरकार कितना इससे...