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Showing posts from April, 2016
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#ankushThakur   #Himollywood   #Himachal   #cinema #light_camera_action  ... हिमाचली सिनेमा जिसे अभि कुछ समय पहले हिमऔलीवुड का नाम दिया गया था उसी के उपर आज थोडा विशलेषण करके लिख रहा हूं यह सारा विश्लेषण हिमाचल मे हिमऔलीवुड के लोगो की राय मेरा व्यक्तिगत अनुभव से किया है , जिसमे कुछ चिजें गर्व करने लायक है लेकिन कुछ एसी भी वाते है जिन्हे सुन कर हम शर्म जरुर महसूस कर सकते है और करनी चाहिये , हिमाचल की सिने मा ईंडस्टरी मे यूं तो फूलमू रांझू फौजी दी फैमिली धोवन ओ मेरी कंगना जैसी सौर्ट फील्मे वनायी है जो की काफी हद तक कामयाव रही , लेकिन यह सव छोटे वजट की फिल्मे थी और उस दौर मे वनी थी जव तकनीकी ईतनी विकसित भी नही थी आज फिल्म रिलीज़ होती है और अगले ही दिन लोगों के फोन स्क्रीन पर दस्तक दे चुकी होती है ,वेशक पायरसी को रोकने की तमाम कोशिशे होती हो लेकिन आज के समय मे यह सव कोशिशे उस अधूरी सक्रिप्ट के जैसी है जिसपे आज तक ना तो कोई फिल्म वनी है और ना वन सकती है मतलव ये वस अखवार मे दी गयी स्टेटमेंट के जैसे है जिसपर कोई एक्सन नाम की साउंड सुनायी नही देती , वात हिमाचल मे सिनेमा क...
‪#‎ अंकुशठाकुर‬   ‪#‎ टैटनस‬   वचपन मे मासूमों के खिलाफ ईस्तेमाल होने वाला यह एक एसा अस्त्र है जिसका सामना तकरीबन सवने किया ही होगा ,और जिसने नही किया वो किस्मत वाला है कि दर्द भरे दो आंसू आंख से वेवजह नही निकाले , खैर स्कूल के दिन थे दूसरी तीसरी मे होगे ,वचपना परवान पर था , हम मस्त मलंग टिफिन मे रखे अचार की खूबवू को महसूस कर रहे थे ,ईंतजार मे थे की कव आधी छुट्टी की घंटी वजे और हम सवसे पहले वस्ते मे रखे ईस अतिरिक्त भार को कम करें , समय एसा लग रहा था कि रुक सा गया है घड़ी की सूईया ं मानो थम सी गयी है , मुझसे और ईंतजार नही हो रहा था झट से मैने एक हाथ वस्ते मे डाल कर अचार का एक टुकडा निकाल लिया और ईसे गुपचुप खाने लगा , हमारे हिमाचल मे खट्टे और आम का अचार हर घर मे आसानी से मिल जाता है और जो भी खाता है वस वो ईसका दीवाना हो जाता है , साथ ही वैठा मेरा दोस्त उस अचार की खूसवू को समझ चुका था उसे भी अव भूख लगनी शुरु हो चुकी थी , तीसरा हमारा साथी मैडम से पीटायी खा रहा था और उसके एक्सप्रेशन देख कर हमारी हंसी अनकन्ट्रोल सी हो रही थी जितनी मार नही खा रहा था उतना एक्टींग कर रहा था ,मतलव र...
‪#‎ अंकुशठाकुर‬   ‪#‎ टैटनस‬   वचपन मे मासूमों के खिलाफ ईस्तेमाल होने वाला यह एक एसा अस्त्र है  जिसका सामना तकरीबन सवने किया ही होगा ,और जिसने नही किया  वो किस्मत वाला है कि दर्द भरे दो आंसू आंख से वेवजह नही निकाले ,  खैर स्कूल के दिन थे दूसरी तीसरी मे होगे ,वचपना परवान पर था , हम  मस्त मलंग टिफिन मे रखे अचार की खूबवू को महसूस कर रहे थे , ईंतजार मे थे की कव आधी छुट्टी की घंटी वजे और हम सवसे पहले वस्ते  मे रखे ईस अतिरिक्त भार को कम करें , समय एसा लग रहा था कि रुक  सा गया है घड़ी की सूईया ं मानो थम सी गयी है , मुझसे और ईंतजार  नही हो रहा था झट से मैने एक हाथ वस्ते मे डाल कर अचार का एक  टुकडा निकाल लिया और ईसे गुपचुप खाने लगा , हमारे हिमाचल मे खट्टे  और आम का अचार हर घर मे आसानी से मिल जाता है और जो भी  खाता  है वस वो ईसका दीवाना हो जाता है , साथ ही वैठा मेरा दोस्त उस  अचार की खूसवू को समझ चुका था उसे भी अव भूख लगनी शुरु हो चुकी  थी , तीसरा हमारा साथी मैडम से पीटायी खा रहा था और उसके...
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फीकी सी हो गयी है होली , उस दौर मे रंग विरंगे चेहरों के फोटो नही लिया करते थे पर ईस रंग विरंगे त्योहार को दिल मे जरुर वसा लिया करते थे , सवसे पहले गांव मे तायी चाची को रंग लगाने की होड रहती थी और अपनी अपनी अम्मी को वचाने की पूरी नसीहत भी दे दी जाती थी , यह पूरी जानकारी वकायदा समझाई जाती थी कि ताई या चाची ईस तरफ से हमला करने वाली है तो अलर्ट रहें वाद मे हमे परेशानी हो जाती थी कि कौन सी म्हारी जन्मदाती है कौन सी म्हारी चाची है , हा हा मुंह ही एसा वना देते थे और कुछ एसी शतिर होत ी थी कि गोवर का वो हरा रंग होता है ना अरे वहि पांच रुपये की पुडिया वाला साला एक वार लगा दिया तो वासस् , वो वाला रंग एसा रगड़ रगड़ के थोपती थी कि अगले एक महीने तक ताउ और चाचु पहचान नही पाता कि यह है तो मेरे वाली हि कि कोई और , और हरे रंग पे जो काली आंखे चमकती ना हाहा वडका जी कति हार्ट अटैक वाली सिचुएशन वन जाती थी खैर जो पूरा साल शरीफ सी कमजोर सी वनकर रहती थी ना जाने ईस दिन कहां से ताकत लेतर आ जाती थी हमे भी एसे पकड़ती थी कि कुछ क्षणों मे एसे फील होता जैसे ताडकां ने श्रीराम को पकड लिया हो ॥ लेक...
#‎ Technology‬ Must Read हैल्लो , नमस्कार आप @मनोज वोल रहे हैं , ?? हां जी आप कौन , जी हम SBI bank से वोल रहे हैं , दरअस्ल मार्च के अंतिम महीने मे आपका अकाउंट वन्द हो जायेगा , जिसको खुलवाने के लिये आपको चार्ज किया जायेगा मतलव आपके पैसे कटेंगे , लेकिन फिक्र की कोई वात नहीं है , अव फोन के जरिये भी आप ईसे अपडेट रख सकते हैं , @मनोज, पैसे कटने के डर से , अच्छा जी तो कया करना होगा , वैंक :- जी , आप कृपा अपना अकाउंट नम्वर वता सकते है कया ? आप ATM ईस्तेमाल करते है तो कृपा सव हाथ मे रखिये और जो हम पूछे वो वताते रहे आनलाइन हम आपका अकाउंट अपडेट कर देंगे , मनोज , जी सर् वैंक हां तो अपने ATM के उपर लिखे सोलह अंको वाला नंवर वताये , मनोज जी 12********** ok ,D.O.B कया लिखी है ईसमे , जी यह है 17/03/1993 , ओके और पूरा नाम यही है ना एक वार फिरसे वोलीयेगा प्लीज , ॥ जी मनोज ठाकुर , ओके मनोज ठाकुर जी आपका अकाउंट अपडेट कर दिया गया है अव आप शुचारु रुप से वैंक की सेवाये ले सकोगे , शुक्रिया ॥ मनोज ठाकुर जी अंदर ही अंदर खुश हो रहे थे कि वाह कया तकनीकी है आजकल फोन से ही समस्या का समाधान , तभी...
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#‎ हकीकत‬ ‪#‎ जिंदगी‬ ‪#‎ असहाय‬ ‪#‎ असहज‬ रात के वक्त एसे ही रोड पर टहल रहा था , सडक के एक तरफ नालियां खोदी जा रही थी , शायद तार वार या कोई पाईप जैसे अमूमन एसे काम के लिये खुदाई करवाई जाती है वैसी ही यहां हो रही थी , उसी सडक के साथ कुछ मजदूर महिला और पुरुष सडक के किनारे ही सो रहे थे एसी जगह पर जहां हम मै और आप जैसा कोई वयक्ति वैठना भी पसंद ना करे , दूसरी तरफ ही एक छोटा सा वच्चा , दुनिया से नजरअंदाज ,वेफिक्र , सपनों के सागर मे तैर रहा था , सपने भी वेचारे के ज्यादा कुछ नही होगे वस यही कोई दो वक्त की रोटी मिल जाये , वो क्रिम वाले विस्कीट जो पान वाले की दुकान के पास टीवी मे देखे थे वो मिल जाये , स्वाद कैसा होगा उसे भी शायद मालूम नही पर हां एड मे आये उस खुशनुमा वच्चे को देखकर लगता होगा अच्छे ही होगे , जहां भारत का एक वर्ग वच्चों को रजाई , मखमल के गद्दों पर सुलाता है वहिं यह तपते कठोर पत्थरों पर एसे सो रहे थे मानो किसी मखमल के गद्दों पर सो रहे हो , सामान के नाम पर एक पानी की कैन दो तीन मीरींडा की खाली वोतल जो यहां वहां से उठायी होगी , और सिरहाने के लिये पैर की टूटी चप्...
#‎ सफर_ए_वाल्वो‬ #ankushThakur HRTC की वसो मे तो वैसे हर हिमाचली ने सफर किया होगा डैफिनेटली किया ही होगा , हमारे पहाडों मे यातायात के लिये यह रीढ की हड्डी का काम करती है , लेकिन प्रदेश के साथ दूसरे राज्यो को जोडने के लिये खास वसें भी निगम के पास है जिनमे वोल्वो डिल्कस शामिल है, ईन वसों की खासियत है कि यह काफी वडी ,साफ सुथरी गर्मियो मे ठण्डी और शर्दीयो मे गर्म रहती है , वाकी तमाम दूसरी सुविधाए अलग से होती है, तो जी हम जव भी हरी हरी वडी वडी वसों को देखते थे तो दिल कर जाता था कि ईसमे भी जाकर देखेंगे पर कभी टाईमिंग की समस्या तो कभी जल्दबाजी मे हम ईसमे सफर कर नही पाते थे पर जैसे तैसे कुछ साल पहले हमने ठान ली की जायेगे तो वोल्वो मे ,भला कौन आर्डीनरी वसों की खिड़कीयों को भरी ठण्ड मे आगे धकेलता रहे ,कौन अखवार लगाकर खिडकी वंद करने की नाकाम कोशिश करता रहे , नहीं विल्कुल नही ईस वार तो हरगिज नहीं , और लो जी वोल्वो का टिकट खटक, किराये के डिजीट भले ही, थोडे पहली वाली टिकट के डिजीट से ज्यादा थे पर अरमान ईच्छाओ मे ईंसान हर डिजीट को भूल जाता है , सो हम भी भूल लिये ,जनाव वक्त से पहले पहु...