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Showing posts from October, 2015
#आशिकी_शाम #अंकुशठाकुर ANKUSH THAKUR · SUNDAY, OCTOBER 18, 2015 सर्दी के उस मौसम मे पढाई की मार और वचपन का प्यार , हाथो मे एक पोथी पकड कर सुवह शाम गुरु जी के लैक्चर का जवरदस्ती रिपीट टैलीकास्ट टियुसन वाले भाई के पास हो रहा था , उसके हुस्न के चर्चे तो पहले ही सुन लिये थे पर उसके दिदार को आंखे वेचैन थी , गार्डन मे लगे पिंक रोज को तोडना तो नही चाहता था पर यु ही ना जाने कयों तोड देता है, ये कया सामने से लगा एकदम मौसम ने करवट ले ली है सर्दी का मौसम वदल रहा था मुह से कुछ नही निकल रहा था , वो पिंक रोज भी ना जाने कयों मुझे ललकार रहा था , मै डर सा गया एकदम रफ कापी के उस पन्ने पर जहां वैन्जीन के चेन रिएक्शन वनाये थे उसमे एडजस्ट कर देता हुं , आंधी की तरह वो सामने आ रही थी कुछ देर के लिये लगा वस् अव उडने वाले है और ईससे ज्यादा और कया चाहिये उसके साथ उडने का मौका मिल रहा हो , खैर नजदीक पहुंच कर जव उसकी आंखों मे देखा तो सिवाय कजरा महोवत वाला अंखियो मे एसा डाला ,कजरे ने ले ली मेरी जान के सिवाय कुछ फिल नही हो रहा था ईमोस्नस वट्स एप वाले सटीकर की तरह जीभ निकाल...
दौर ए पत्रकारिता  आफ्टर 2014 जव एक आटो वाले को एक राहगीर ने कुछ कारणो से थप्पड जड दिया , दिन भर से खवर ढुंड रहे हिपोक्रेट पत्रकार साहव ने जव मंजर देखा तो फटाफट पहले जाकर यही पुछा , भाई जान कौन सा रिलीजन एन्ड ईफ हिन्दु दैन कौन सी कास्ट ,, लो भाई मिर्च एन्ड मसाला लगाकर काकड़ी तैयार  सिनीयर पत्रकार महोदय :- आज हम प्राईम टाईम मे दिखाने वाले है कि कैसे एक कट्टर हिन्दुवादी व्यक्ति ने एक अल्पसंख्यक आटो वाले को वुरी तरह पीटा , कया अल्पसंख्यक भारत मे सुरक्षित नही ??  जी हा आज वडी वहस मे हमारे साथ है पूर्व मंत्री *** ( जिसे खुद पार्टी वाले वोझ समझते ) और दुसरे मेहमान है फलां मौलाना जी हमारे साथ है IMIM के मंत्री *** साथ ही हमारे साथ थोडी देर मे जुडेंगे हमारे खास एक्टिवीस्ट ( जिसे चैनल ने चंद रुपये के लिए रखा है कि हर वार किसी भी डिवेट मे वस वोलना है तुझे ) फलां मतलव माहौल पुरा हिंदु को आंतकवादी सावित करने का वनाना अरे सनी लियोन की एड लगाकर मीडिया हाउस चलाने वाले मुर्खो लौंग लैन्थे ही भुलते जा रहे अपनी पत्रकारिता की , कुछ भी , वोले तो कुछ भी ?? काश धर्म और जात से जोडने से पहल...
#आशिकी_शाम # अ ंकुशठाकुर दोनो ने ताउम्र साथ रहने का फैसला कर लिया था , वात अभी घरवालो तक नही पहुंची थी , वता देंगे अभि थोडी ना सादी कर रहे लडके ने प्यार से लडकी को कहा , रोज उसकी फरमाईशों को पुरा करने मे वक्त जाया कर देता कभी गुलाव के पौधे से कांटों भरे गुच्छे मे हाथ डालकर ताजा खिले फुल को तोड़ता और उसे सौंप देता तो कभी उसके पसंदीदा गीतो की कैसेट भरा कर गिफ्ट देता , सिलसिला एक फुल से शुरु हुआ और फिर हर रोज ईसी तरह चलता गया ॥ ईन आशिको की लव स्टोरी मे यह गुलाव वडा महत्वपूर्ण रोल अदा करता है और यह वात लडका समझ चुका था , लेकिन कव साधारण सा वालक आशिक वन गया कव ईन कांटों वाली राह मे चल पडा उसे भी शायद मालुम नही चला , दिन वितते गये प्यार और तकरार भी होता रहा ठीक वैसा ही जैसा रोज उस तोडे गुलाव के साथ शुरु होता था ॥ आज लडकी थोडी परेशान थी और होती भी कयों नही घर मे रिश्ता लेकर जो मौसी आयी थी , थोडे गुस्से से लडके को लताडते हुये वोली अव गुलाव तभी देना जव मेरे घर वारात आ जाये और गुलाव देकर स्वागत करना वोलते वोलते यह गुस्सा ज्वालामुखी सा पिघल चुका था और आंसुओं मे वहने लग गया...