वालिवुड की क्वीन ankushThakur कुछ दिनो से जव से तन्नु वैडस मन्नु रिलीज़ हुयी सोशल मीडिया मे हर जगह तन्नु उर्फ कंगना ही कंगना छायी है कुछ हास्य वयंग तरिकों से रिशते मे तो हम तुम्हारे वाप लगते हैं नाम है कंगना कहके तो कुछ अपने अपने तरिकों से कंगना की एक्टिंग को एपरिसीएट कर रहे हैं , करनी भी चाहिये , पहली वार रात को 12वजे भी थियेटर फुल देखा और एक पहाडी लङकी ने जो हरियाणवी वोली है रुको रुको मै अपने आप को रोक नही पा रहा हुं , हां तो मै कहना चाहता हुं की जो फाडु हरियाणवी ईस पहाडी मठी ने वोली है वो सवके जहन और दिमाग मे घुम रही है , फिल्म मे जो सिर्फ खान परिवार या खान नाम से अपने आपको अपनी नईया पार लगाने की जद्दोजहद मे रहते उनको भी कंगना प्यार से तमाचा मार कर चली गयी, और वहुत आगे , वहुत करिटीसीजम झेल कर भी यह लडकी अपने काम मे लगी रही और वालिवुड की क्वीन का खिताव कईयों को पिछाडते अपने नाम किया , कहते है जव कोई अपनी कमजोरी को अपनी ताकत वना लेता है तो वही कमजोरी उसकी सफलता का कारण वनती है ,साक्ष्य सामने है सोनाक्षी की हर जगह मोटापे के कारण वुरायी की लेकिन वन्दी ने कीसी की...
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"YAADE" A " HIMACHAL" तो जी वात है उन दिनो की जव हम छोटे से क्युट से वच्चे हुआ करते थे, स्कुलिंग मे थे तो वरसात की दो महीने की छुट्टियां ही हमारे लिये सर्वोच्च त्योहार हुआ करती थीं तो वस जिस दिन छुट्टियां पडी अगले ही दिन सव होमवर्क चेप दिया शुरुआत साईंस से की और मैथ्स पर जाके स्वाहा कर दी हाहा हा वाद मे मुर्गा वना कर पिटा था मुझे मास्टर जी ने , वडा दर्द हुआ पर सारा दर्द हंसी मे तवदील हो गया जव साथ वालों की उससे भी खतरनाक अवाजें सुनी हा हा उस हंसी की चक्कर मे दो डन्डे फालतु खा लिये थे पर फिर भी वे शरम की तरह हंसी रुकी नहीं , खैर थोडा फार्वड मोड मे चला गया , हा तो छुट्टियां खत्म हुई और मासी के यहां हमारा कारवां वड लिया जाहु के साथ मे जगह वहां पहुंचे शुरुआत मे थोडे शांत से वैठे वाद मे ले दगडम ले वगडम हल्लम हल्ला , तो मासी हमारी सावन के भोले वाला के व्रत किया करती थी साथ मे नजदिक कुआं था तकरीपन 52 पौडी का वडा आगे से नैरो पिछे काफी चौडा था तो मासी वोली आंकु तैरना औन्दा , मै वडा गाजला कन्नै ज्य...
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मजदूर दिवस भारत में वैसे वहुत से दिवस का ट्रैन्ड हो गया है जिसमे प्रेम दिवस और प्रेम के साथ साथ प्रेम के वाद आने वाले सारे दिवस होते है सवको प्रसन्नता से मनाया जाता है आज मजदुर दिवस पर कोई अपनी मजदुरी मार कर ईसे मनाना पसन्द नहीं करेगा जाहिर है पेट का सवाल है और पेट से समझौता कर भी ले मगर घर वार वच्चों के जव वलैन्कड वहाईट तस्विरे ंसामने आती और कान मे गुंज सुनायी देती अजि सुनते हो चावल भी खतम हो गये ? है तो यकिन मानीये धक धक करने वाला ये नैचुरल यन्त्र जिसको डाक्टर लोग हार्ट कहते हैं वोल उठता है भाई उठा अपना झोला और शुरु कर रोजी । लेकिन दुसरी ओर टेडा सा मुंह करके सोच रहा हुं सही भी किया सभी डिपार्टमैन्ट के दिन रख दिये तो ये भला ईसे कयों छोड दिया जाये आखिर हम सव भी तो मजदुर और मजवुर ही तो हैं ।कयी ए सी मे वैठने वाले मजवुर तो कयी कडकती धुप मे मेहनत करने वाले मजदुर ।आज हम उस एन्ड्राइड दौर मे जी रहे हैं जिसमे सभि व्हाईट कालर वाली नौकरी करना तो पसंद करते है पर पसीना वहाना कतयी नहीं चाहते ं । यदपि हम भारतीय परम्परा मे विशवक्रमा डे मनाते हैं जिस दिन सभी अपने हथियार डाल द...