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Showing posts from June, 2015
एक कुत्ता मेरे सामने से आ रहा था वडवडाता हुआ कराहता हुआ , मेरी तरफ देख रहा था निर्वल मन से टुरते हुये दिल ही दिल मे ना जाने कितनी गालियाँ दे गया , आंखो के कान्टेक्ट से उसके साथ गुजरी व्यथा को एक्सपलेन कर रहा था मानो वोल रहा हो अंकुश, देख तेरी विरादरी के लोगों ने मेरा ये कया हाल किया , आखिर कया कसुर था मेरा यही कि मुझे किसी रईस मालिक ने नही पाला , खुन्डी से नहीं वान्धा कया यही ? , तुमसे मैने कुछ मांगा कया ? जो तुमने मेरा यह हाल किया , आराम से विना तुम्हे तंग किये सडक के किना रे ही तो सो रहा था , वस यह भुल गया था कि तुम्हारी विरादरी भी साथ ही वसती है लेकिन सच वताउ अव मै कुछ नही कर सकता पैरो से जो तुमने लाचार वना दिया , तुम्हारे द्वारा वोलने वाली ये लिटील मिस्टेक शायद मुझे कितनी वडी सजा दे गयी , तुम नही समझ सकते , नही समझ सकते दोस्त कभी नही , , , , , , हम्म्म चुप कयों हो , कुछ वोलोगे नी , कयों ईसलिये कि मै एक आवारा कुत्ता था अगर तोड दी टांग तो कया हुआ गली का कुत्ता ही तो था , अरे कुत्ता हु तो कया जान नही मुझमे जानते हो कितनी दर्द हो रही , कराह रहा हु मै , तुम्हारी तरह...
विश्व पर्यावरण  दिवस 5 जुन या यु कहें world environment day ये दिन वास्तव मे सवसे ज्यादा वच्चों के द्वारा ज्यादा  मनाया जाता है खुव स्लोगन लिखे जाते हैं भाषण प्रतियोगिता होती है लोगों को जागरुक किया जाता है कि सुनो पर्यावरण की पुकार , ना चलाओ ईनके उपर अपने झुठे विकास की धार , लेकिन हम मानव जाती एसी है  की सोचती नहीं , प्रयावरण एक उपहार है जो प्रकृति  ने हमे दिया है लेकिन हम कितना सजों पाये हैं  ईसे ? ये जव प्रशन उठता है तो सवालों का सैलाव उठ जाता है .सामने वडी वडी विल्डींग टैं टैं करती तेज कारें उन्चे उन्चे कारखाने और उनसे निकलता धुआं वा प्रदुषित जल, जो मिला दिया जाता है नदीयों मे नालों मे सवसे पहले ये समझना होगा प्रदुषण है कया.? साफ शव्दों मे किसी भी प्रकृति की क्रिया को दुषित करना या नुकसान पहुचाना फिर वो जल प्रदुषण हो जो कारखानों से और मानविय गतिविधियों से हो रहा हो या ु प्रदुषण जो हम जैसे लाडलों की टी टी करके वाहनों को भगाने से हो या भुमि प्रदुषण मे मानव ने कुछ समय ये हद ही कर रखी है पालीथीन जी हां प्लास्टिक को अपनी रोजमर्रा  मे एसा शामिल कीया है कि...