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Showing posts from July, 2015
ankushthakur045.blogspot.com टाईप करने के लिये कोशीश तो कर रहा हु लेकिन वहुत कम शव्द आ रहे है , अवाक सा हु कुछ लिखने पढने का मन नही , सुवहा से ही वेकार शुरुआत हुयी जो शाम तक चली और फिर एसा लगा कि एक चिराग जिससे कई होते थे रोशन वो रोशनी देता देता अचानक वुझ सा गया मुझ जैसे कई ये आस मे अव भी वैठे है कि कोई हवा का एक एसा झोंका आ जाये जो ईस दीवक को फिर से जला दे ,चाहे कम रोशनी हो पर वस जल उठे आज एक महान ईसान हमारे विच से चला गया , यु ही मुस्कराता हुआ , हमारी आखों को नम करते हुए , और मुस्कान जरा भी फिकी नही पड ी , वीमार होने के वावजूद भी हमेशा वच्चों का मार्गदर्शन करना उन्हे सिखाते रहना पढाते रहना वाकई यह कोई आम मानव नही था एक वहुत वडा वैज्ञानिक एक राष्ट्र का राष्ट्रपति पर कभी राष्ट्रपति दिखा ही नही वस एक साधारण सा मनुष्य जो हंसता हंसता वहुत कुछ दे गया ईस विश्व को , सपने वो नही होते जो आप नींद मे देखते हो सपने वो होते जो आपको नींद नही आने देते वाकई कलाम साहव आपके शव्द वहुत भावात्मक कर रहे हैं , वो आपकी हल्की सी मुस्कराहट , जरा फिर से हंस दो ना प्लीज वस थोडा सा ,,, भारत रत्न श्री कलाम ज...
गरमागरम रिव्यु लिख रहा हुं , लपक लो और वजरंगी जी की कसम विल्कुल झुठ नही वोलुंगा , हां तो ईस वार पेट पुजा करके दो तीन चपातीयां ठुंस कर सिनेमा गये थे ओ कया है ना कि लास्ट टाईम थोडी टंकी आधी थी और तलवारों की साउंड से और आधी हो गयी थी पर हमने ईस वार वकायदा तैयरियों से विना झपके लपके हर सिन को अपने अवतल और उत्तल मने कनवैक्स और कनकेव लैंस मे कैद किया है जिसे हम अभी फारवड और रिवर्स करके एक्सपलेन कर रहे हैं :- सलमान साहव ने वेहद खुवशुरत अभिनय क िया है फिल्म भारत से वार्डर पार फिर वार्डर से भारत एक वेहद रोमांचक तरीके से घुमति है और किस तरह से एक वच्ची को उसके वतन वापिस सलमान खान भेजते है और तमाम परेशानियां आने पर भी जय श्रीराम कहकर कैसे सौल्व करते जाते हैं ये सव आपको देखने को मिलेगा , और वार्डर पार जो पत्रकार महोदय सिद्दीकी जी ने अभिनय किया है , थोडा कैमरा घुमाना , हां तो जनाव ने जो एक्टिंग की है वो वाकई कावीले तारीफ है , कुछ चेहरे एसे होते हैं जिनसे अभिनय ना भी करवाया जाये तव भी दर्शक उन्हे वहुत पसंद करते हैं और वो अपनी अळग ही छाप छोड जाते हैं ,और मुवि मे वो वच्ची मुन्नी उन्...
अव गांव जाने का दिल नही करता चला जाउं तो आने का दिल नी करता  सभी साथी खो गये हैं ,कुछ वडे आदमी हो गये हैं  पैसे कमाने की होड है वस कुछ एसी ही सवकी दौड है ... वन्नी चण्डीगढ़ मे सैटल है , आंकु की तो जौव का मैटर है ,  अव गांव जाने का दिल नही करता जाउं तो लौट आने का दिल नी करता पुराने वुजर्ग दिखाई नही देते वो ठहाके सुनायी नही देते , दासतां तो सुना दु दोस्तों पर यह गम भरे नगमे गाये नही जाते ,,,आ जाते है यु ही आंखों मे आंसू पर वजह है तो छिपाये भी नही जाते कुएं है वावडियां है पर वो पुराने दृश्य अव दिखाई नही देते ,,, अव गाव जाने का दिल नही करता ..To be continued..... ‪#‎ अंकुशठाकुर‬
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वाहुवलि आधुनिक वैज्ञानिक (एनिमेशन ) का कमाल॥ रात को एक वीस पर रिवियु लिख रहा हुं भुख के मारे पेट गुटर गुटर कर रहा था तो साथ पडी नमकीन के पैकेट से फांके मार के गटक लिये तव जाके सटोमेक साउन्ड वन्द हुयी और फांके कन्टीनयु रख कर ही फिल्म का रिव्यू लिख रहा हुं जैसे कि फिल्म का नाम है वाहुवलि तो वलि वाली फिलींग आना ये तो जायज ही है और ये फिलम के हर दृश्य मे आपको आती भी रहेगी शुरु शुरु मे फिल्म थोडी सी विखरती है लेकिन ये मोतीयों की माला जव एक एक मनका जोड कर जुडना शुरु करती है तो सिर ्फ वाहुवलि ही वाहुवलि होती है , मनोरंजन के साथ फिल्म महाभारत वालि फिलींग भी जगाती रहती है जिसमे एसा लगता श्रीकृष्ण स्वंय उपदेश भी दे रहे है और युद्ध भी कर रहे , महेश्वरी मा ने जो किरदार किया है वो वेहद उम्दा है ईसीलिये साउथ की फिल्मो मे चाहे वो रिलीजीयस हो विलेन या वहादुर और ममतामयी किरदार ,ईन मौतरमा को ही सवसे पहली पसंद चुना जाता है , रही वात फिल्म की स्टोरी की तो स्टोरी मजवुत है भारतीय ईतीहास की पहली सवसे महंगी फिल्म है जो आधुनिक वैज्ञानिक प्रणाली से सिनेमा तक पहुंचायी है , एनीमेशन का वेहद खुवशुरती से ईस्ते...