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जव वातें रेल वजट कि और हिमाचल कनैक्सन की हो रही हैं तो मैने भी सोचा पिछले वजट के टाईम का अनुभव शेयर कर ही देता हुं, जव हिमाचल के लोगों से पुछा कि 'रेल वजट' और 'हिमाचल में रेल' कया ख्याल है तो अन्सर कुछ कैक्टस के पतों की तरह थे तो कुछ कपास और नीम के पतों की तरह:- 1. जनाव जित्थी जे रेल आयी जांदी समझा गन्दगी शुरु ,खरा जे नी मिलो रेल रुल गान्द पौंदा वडा भारी ... सारे प्रवासियां एत्थु दौडी आणां... 2. वस मालिक ड्रईवर :- कजो हांदे टीडा च लात मरवाणी ईन्हा ही सवारियां नी मिलदीयां उपरा ते ए रेला दे चोचले.. जाहिर है कुछ तो असर उनकी कमाई पर भी पडेगा.. हम जैसे कुछ युवा :- ओ अरा ईतने साल होयी गये ए वास गप्पा मारदें कुछ नी मिलदा.... 5.वडकेया पहले ता रेल वजट च असे कुछ ज्यादा नी सोचदे थे पता था असां वाल जो शिमले पालमपुरा आली रेल लाईन उसा दा ही वुरा हाल है ता होर कया मिलणा पर हुण दिखदे मोदी होरा कया दिंदे... 6. वावा जी रेल आणा चाहिंदी हुण जालु छुट्टी आंदा मै ता वडी परेशानी हुदी कदी वसां फुल जांदियां ता कदी कुछ जे रेल हो ना रामा कन्नै मेरे सायीं कई लोकां जो सुविधा होय...